राजन मिश्र . कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए की सरकार को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी घूस की पेशकश के मामले में जनरल वीके सिंह पर निशाना साधने में केंद्र सरकार के साथ खड़ी दिख रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता राम गोपाल यादव ने जनरल सिंह को सलाह दी है कि वे ज़्यादा न बोलें क्योंकि इससे सेना की साख गिर सकती है। सेना प्रमुख ने हाल ही में दिए गए इंटरव्यू में कहा था कि किसी ने उन्हें 14 करोड़ रुपये घूस की पेशकश की थी।
नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में राम गोपाल यादव ने सेना अध्यक्ष की तुलना समाजवादी पार्टी से अलग हो चुके नेता अमर सिंह से करते हुए कहा, 'इस देश में सब लोग सेना का सम्मान करते हैं। लेकिन बहुत ज़्यादा बोलने से सेना प्रमुख की विश्वसनियता घटती है। हमने अपनी पार्टी में भी ऐसा देखा है कि किस तरह अमर सिंह बहुत ज़्यादा बोलने की वजह से अपनी साख गंवा बैठे।'
हालांकि, घूस की पेशकश किए जाने के मुद्दे पर राम गोपाल यादव ने कहा, 'रक्षा मंत्री को जब घूस की बात बताई गई थी, तब एंटनी को एक्शन लेना चाहिए था, ऐसा न होने से मामला रफा दफा हो जाता है।' सपा नेता के मुताबिक एंटनी को सेना प्रमुख के रुख को नज़रअंदाज करते हुए घूस की पेशकश मामले की जांच करवानी चाहिए थी। उन्होंने कहा, 'मैं जानता हूं कि रक्षा मंत्री एक ईमानदार व्यक्ति हैं। लेकिन जब जनरल ने कहा कि वे नहीं चाहते कि मामले को आगे बढ़ाया जाए तो रक्षा मंत्री को सेना प्रमुख की बात को नहीं मानना चाहिए था।'
कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने इस मुद्दे पर जिम्मेदारी सेना प्रमुख पर डालते हुए कहा है कि उन्हें तुरंत एक्शन लेना चाहिए था और रक्षा मंत्री को लिखित शिकायत देनी चाहिए थी। मनीष तिवारी ने जनरल वीके सिंह पर निशाना साधते हुए कहा, 'यह गंभीर मुद्दा है। अगर किसी ने उन्हें (सेना प्रमुख को) घूस की पेशकश की थी तो मुझे लगता है कि सरकारी कर्मचारी होने के नाते यह उनकी जिम्मेदारी थी कि वे उस शख्स के खिलाफ शिकायत करते।'
इस मुद्दे पर मंगलवार को संसद में ज़्यादातर राजनीतिक दलों ने यह बात कही कि सेना प्रमुख को घूस की पेशकश होने पर लिखित शिकायत करनी चाहिए थी। बीजेपी ने कहा है कि एंटनी का 'अनिर्णय' इस पूरे मामले के लिए जिम्मेदार हो सकता है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह ने कहा, 'मुझे इस बात से निराशा है कि जनरल सिंह ने सीधे मीडिया से बात की। मैं रक्षा मंत्री को जानता हूं। उन्हें फैसले न लेने में महारत हासिल है। उनके (रक्षा मंत्री के) द्वारा फैसला न लेने के चलते सेना प्रमुख को कोर्ट जाना पड़ा।'
नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में राम गोपाल यादव ने सेना अध्यक्ष की तुलना समाजवादी पार्टी से अलग हो चुके नेता अमर सिंह से करते हुए कहा, 'इस देश में सब लोग सेना का सम्मान करते हैं। लेकिन बहुत ज़्यादा बोलने से सेना प्रमुख की विश्वसनियता घटती है। हमने अपनी पार्टी में भी ऐसा देखा है कि किस तरह अमर सिंह बहुत ज़्यादा बोलने की वजह से अपनी साख गंवा बैठे।'
हालांकि, घूस की पेशकश किए जाने के मुद्दे पर राम गोपाल यादव ने कहा, 'रक्षा मंत्री को जब घूस की बात बताई गई थी, तब एंटनी को एक्शन लेना चाहिए था, ऐसा न होने से मामला रफा दफा हो जाता है।' सपा नेता के मुताबिक एंटनी को सेना प्रमुख के रुख को नज़रअंदाज करते हुए घूस की पेशकश मामले की जांच करवानी चाहिए थी। उन्होंने कहा, 'मैं जानता हूं कि रक्षा मंत्री एक ईमानदार व्यक्ति हैं। लेकिन जब जनरल ने कहा कि वे नहीं चाहते कि मामले को आगे बढ़ाया जाए तो रक्षा मंत्री को सेना प्रमुख की बात को नहीं मानना चाहिए था।'
कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने इस मुद्दे पर जिम्मेदारी सेना प्रमुख पर डालते हुए कहा है कि उन्हें तुरंत एक्शन लेना चाहिए था और रक्षा मंत्री को लिखित शिकायत देनी चाहिए थी। मनीष तिवारी ने जनरल वीके सिंह पर निशाना साधते हुए कहा, 'यह गंभीर मुद्दा है। अगर किसी ने उन्हें (सेना प्रमुख को) घूस की पेशकश की थी तो मुझे लगता है कि सरकारी कर्मचारी होने के नाते यह उनकी जिम्मेदारी थी कि वे उस शख्स के खिलाफ शिकायत करते।'
इस मुद्दे पर मंगलवार को संसद में ज़्यादातर राजनीतिक दलों ने यह बात कही कि सेना प्रमुख को घूस की पेशकश होने पर लिखित शिकायत करनी चाहिए थी। बीजेपी ने कहा है कि एंटनी का 'अनिर्णय' इस पूरे मामले के लिए जिम्मेदार हो सकता है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह ने कहा, 'मुझे इस बात से निराशा है कि जनरल सिंह ने सीधे मीडिया से बात की। मैं रक्षा मंत्री को जानता हूं। उन्हें फैसले न लेने में महारत हासिल है। उनके (रक्षा मंत्री के) द्वारा फैसला न लेने के चलते सेना प्रमुख को कोर्ट जाना पड़ा।'
सीपीआई नेता डी. राजा ने सेना प्रमुख के खुलासे के समय पर सवाल उठाया। उन्होंने पूछा, 'वे अब ये सब बातें क्यों बता रहे हैं? वे पहले क्या कर रहे थे? कोई जनरल से कैसे संपर्क कर उन्हें घूस की पेशकश कर सकता है? अगर वे उम्र विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं तो वे देश को घूस की पेशकश की बात क्यों नहीं बता सके?'
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